Narmadapuram में हत्या के प्रयास में दो दोषियों को 10 साल की सजा

Narmadapuram Updates :- हत्या के प्रयास में दो दोषियों को 10 साल की सजा, कोर्ट ने सुनाया कठोर फैसला

Narmadapuram: हत्या के प्रयास के गंभीर मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय नर्मदापुरम ने दो आरोपियों, संदीप वर्मा और विनीत चौरे (पिंटू), को दोषी ठहराते हुए 10 साल के कठोर कारावास और 10,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला शनिवार को सत्र न्यायाधीश ने सुनाया। लोक अभियोजक शैलेन्द्र कुमार गौर ने इस मामले की पैरवी करते हुए सभी साक्ष्य और गवाहों को प्रस्तुत किया, जिनके आधार पर न्यायालय ने यह निर्णय लिया।

Narmadapuram में हत्या के प्रयास में दो दोषियों को 10 साल की सजा

घटना का विवरण

यह घटना 7 अक्टूबर 2022 की है। रात करीब 10:30 बजे फरियादी आनंद (गोल्डी) और हिमांशु अग्रवाल अपने परिचितों के साथ रसूलिया ब्रिज के नीचे शराब पी रहे थे। उनके साथ आरोपी विनीत चौरे (पिंटू) भी मौजूद था। शराब पीने के दौरान आनंद और विनीत के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई। जब जितेंद्र उर्फ जित्तू ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया, तो विनीत फोन पर किसी से बात करने लगा और गोल्डी तथा हिमांशु दुकान के बाहर खड़े हो गए।

इसी दौरान, आरोपी संदीप वर्मा और एक अन्य व्यक्ति स्कूटी पर घटनास्थल पहुंचे। आते ही संदीप ने गोल्डी पर हमला कर पेट में चाकू मार दिया। बीच-बचाव करने की कोशिश में हिमांशु को भी पेट में चाकू लग गया। इस हमले से दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।

मामले की जांच और न्यायालय में कार्रवाई

घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया और मामला दर्ज किया। लोक अभियोजक शैलेन्द्र कुमार गौर ने न्यायालय के समक्ष यह साबित किया कि संदीप वर्मा और विनीत चौरे ने जानबूझकर और सुनियोजित तरीके से फरियादियों पर जानलेवा हमला किया था।

सभी गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया। न्यायालय ने इस अपराध को गंभीर मानते हुए उन्हें 10 साल के कठोर कारावास और 10,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

न्यायपालिका का संदेश

कोर्ट ने इस सजा के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया है कि हत्या के प्रयास जैसे अपराधों को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोक अभियोजक गौर ने कहा, “यह निर्णय समाज में कानून और न्याय के प्रति विश्वास को मजबूत करता है और अपराधियों को यह सिखाता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।”

पीड़ितों का स्वास्थ्य

घटना के बाद घायल हुए गोल्डी और हिमांशु को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका इलाज सफलतापूर्वक हुआ और अब वे स्वस्थ हैं। हालांकि, इस हमले ने पीड़ितों और उनके परिवारों को गहरी मानसिक और शारीरिक चोट पहुंचाई है।

यह फैसला अपराधियों के खिलाफ एक कड़ा कदम है और समाज को यह संदेश देता है कि हिंसा का कोई स्थान नहीं है।

 

 

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