Itarsi में आवासीय प्लॉट घोटाला: दो रिटायर्ड नपा कर्मी गिरफ्तार

Itarsi Updates :- आवासीय प्लॉट घोटाला: कूटरचित दस्तावेज मामले में दो रिटायर्ड नपा कर्मी गिरफ्तार

Itarsi। नगर पालिका (नपा) के एक बहुचर्चित आवासीय प्लॉट घोटाले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो सेवानिवृत्त कर्मियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में हरिओम उपाध्याय और संजय दीक्षित शामिल हैं। यह मामला 2019 का है, जब सराफा बाजार के निवासी शंकर रसाल ने अपनी पत्नी शुभांगी रसाल के नाम पर खरीदे गए प्लॉट में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी।

Itarsi में आवासीय प्लॉट घोटाला: दो रिटायर्ड नपा कर्मी गिरफ्तार

मूल नक्शे में छेड़छाड़ कर किया गया फर्जीवाड़ा 

शिकायत के अनुसार, नपा द्वारा आवंटित प्लॉट को मूल नक्शे में छेड़छाड़ कर प्लॉट नंबर 81-ए के रूप में तैयार किया गया और बेचा गया। जांच में पता चला कि इस प्लॉट से जुड़े दस्तावेजों में कूटरचना की गई थी। फरियादी को दी गई रसीद और नक्शे में हस्ताक्षर और लेखन फर्जी पाए गए।

कैसे खुला मामला?

इस मामले की शिकायत वर्ष 2019 में दर्ज की गई थी। प्रारंभिक जांच में तत्कालीन सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव और सर्विस प्रोवाइडर राजा सैफी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि, जांच अधूरी थी क्योंकि हस्ताक्षर विशेषज्ञ की रिपोर्ट लंबित थी। हाल ही में प्राप्त विशेषज्ञ रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि फरियादी को दी गई रसीद पर हरिओम उपाध्याय की हस्तलिपि थी और नक्शे पर तत्कालीन राजस्व निरीक्षक संजय दीक्षित के हस्ताक्षर थे।

पुलिस की कार्रवाई

इटारसी पुलिस ने दोनों आरोपियों को इटारसी और भोपाल से गिरफ्तार किया। आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन मंगलवार को उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका। पुलिस ने बुधवार को पुनः कोर्ट में पेश करने और रिमांड की मांग करने का निर्णय लिया है। पुलिस का कहना है कि रिमांड मिलने के बाद इस घोटाले से जुड़े और भी कई तथ्य उजागर हो सकते हैं।

घोटाले की तह तक पहुंचने की कोशिश

टीआई गौरव सिंह बुंदेला ने बताया कि आरोपियों के नाम पहले से एफआईआर में शामिल थे, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में कार्रवाई नहीं हो सकी थी। विशेषज्ञ रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अब इस मामले से जुड़े अन्य व्यक्तियों और प्रक्रियाओं की गहन जांच कर रही है।

शिकायतकर्ता का क्या कहना है?

शिकायतकर्ता शंकर रसाल का कहना है कि उनकी पत्नी के नाम पर आवंटित प्लॉट के साथ इस तरह की धोखाधड़ी उनके परिवार के लिए न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बनी, बल्कि मानसिक पीड़ा भी पहुंचाई। उन्होंने प्रशासन और पुलिस से इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है।

पुलिस की आगे की रणनीति

पुलिस ने बताया कि रिमांड मिलने के बाद आरोपियों से पूछताछ कर दस्तावेजों में छेड़छाड़ की प्रक्रिया और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों की जानकारी जुटाई जाएगी। साथ ही, यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि इस घोटाले में और कितने लोग शामिल हैं और क्या ऐसे अन्य मामले भी सामने आ सकते हैं।

नोट: इस घटना ने न केवल नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि सार्वजनिक संपत्तियों के आवंटन में पारदर्शिता और सख्त निगरानी की आवश्यकता है।

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