Narmadapuram जिले में किसानों को अब तक केवल 44 करोड़ का भुगतान

Narmadapuram जिले में किसानों को अब तक केवल 44 करोड़ का भुगतान, 100 करोड़ से अधिक धान का भुगतान बकाया

Narmadapuram ।
धान बेचने वाले किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिले के किसान अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के बावजूद समय पर भुगतान न होने के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। दिसंबर में शुरू हुई धान खरीदी के बाद नर्मदापुरम जिले में अब तक 6,000 से अधिक किसानों से 72,616 मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है। इस धान की कुल कीमत 144 करोड़ रुपये आंकी गई है, लेकिन किसानों को अब तक केवल 44.55 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है। शेष 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अभी भी बकाया है, जिससे किसान बेहद परेशान हैं।

Narmadapuram जिले में किसानों को अब तक केवल 44 करोड़ का भुगतान

भुगतान में देरी के कारण किसान परेशान

किसानों को समय पर भुगतान न मिलने के पीछे प्रशासन ने तकनीकी और प्रक्रियात्मक कारण बताए हैं। धान खरीद एजेंसी और प्रक्रिया में हुए बदलाव, बैंक खातों का परिवर्तन, और नए हस्ताक्षरकर्ताओं की नियुक्ति जैसे कारणों को भुगतान में देरी की वजह बताया गया है। जिला खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भुगतान प्रक्रिया अब सामान्य हो रही है और बैकलॉग जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा।

फसल के लिए पैसे की सख्त जरूरत

भारतीय किसान संघ, किसान यूनियन, और क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन ने किसानों की इस परेशानी को गंभीरता से लिया है। संगठनों का कहना है कि गेहूं और चना की फसल की बुवाई और देखभाल के लिए किसानों को तुरंत धन की आवश्यकता है। कई किसानों ने अपनी उपज बेचने के 20 दिन बाद भी भुगतान न मिलने की शिकायत की है।

किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने प्रशासन से मांग की है कि धान खरीदी के भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही भुगतान नहीं किया गया, तो किसान आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर हो सकते हैं।

धान परिवहन और वेयरहाउस की समस्या

धान खरीदी प्रक्रिया में देरी का एक बड़ा कारण वेयरहाउस और परिवहन से जुड़ी समस्याएं भी हैं। जिले के धान खरीदी केंद्रों से धान का परिवहन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है। धान को वेयरहाउस में रखने और मिल मालिकों को भेजने की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है।

नियमों के अनुसार, वेयरहाउस में धान का स्टैक पूर्ण होने के बाद ही टीपी (ट्रांसपोर्ट परमिट) जारी किया जाता है। इसके बाद किसानों को भुगतान की प्रक्रिया शुरू होती है। लेकिन धीमी गति के कारण वेयरहाउस और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी से किसानों को भुगतान में देरी हो रही है।

किसानों के लिए बढ़ती परेशानी

धान बेचने वाले किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी उपज का उचित भुगतान न मिलने से रोजमर्रा की जरूरतों और फसल की अगली बुवाई के लिए उर्वरक, बीज, और कीटनाशक खरीदने में दिक्कत हो रही है।

प्रशासन ने किया भरोसा

अधिकारियों का कहना है कि सभी लंबित भुगतानों को प्राथमिकता के आधार पर जल्द ही निपटाया जाएगा। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।

किसानों की मांग

किसान संगठनों ने मांग की है कि धान का परिवहन और वेयरहाउसिंग की प्रक्रिया में सुधार किया जाए। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि किसानों के लंबित भुगतानों को तत्काल जारी किया जाए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

निगरानी की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि धान खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए बेहतर प्रबंधन और नियमित निगरानी की आवश्यकता है। इससे किसानों की समस्याएं कम होंगी और वे समय पर अपनी फसल का भुगतान प्राप्त कर सकेंगे।

धान खरीदी प्रक्रिया में हो रही देरी और समस्याओं के बावजूद, प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही सभी बकाया भुगतान कर दिए जाएंगे। लेकिन, किसानों की इस आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

 

 

 

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