Narmadapuram Updates :- हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा, कोर्ट ने सुनाया फैसला
Narmdapuram।
सिवनीमालवा के साटई गांव में हुई एक हत्या के मामले में अदालत ने कड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी मोंटू उर्फ सरवन को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा दी है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नर्मदापुरम और सिवनीमालवा के अतिरिक्त न्यायाधीश के न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। आरोपी को महिला की निर्मम हत्या का दोषी ठहराया गया। शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक राकेश यादव ने की।
घटना का विवरण
यह दर्दनाक घटना 24 जुलाई 2023 को साटई गांव में घटी, जब मृतका प्रेमलता बाई का शव गांव की सड़क पर पड़ा मिला। मृतका के गले और पीठ पर कुल्हाड़ी के गंभीर घाव के निशान थे। घटना की सूचना फरियादी उषाबाई इरपाचे ने देहात थाने में दी थी।
हत्या की पृष्ठभूमि
फरियादी उषाबाई ने पुलिस को बताया कि 27 जुलाई 2023 की सुबह आरोपी मोंटू उनके घर के सामने आया और उनकी बकरी को पटक दिया। जब उससे इस व्यवहार का कारण पूछा गया, तो उसने गाली-गलौज करना शुरू कर दिया। इस पर उषाबाई और उनकी ननद प्रेमलता बाई ने उसे गालियां देने से रोका और फिर अपने आंगनबाड़ी के काम पर चली गईं।
शाम को जब वे काम से वापस लौट रही थीं, तो मोंटू ने फिर से उनके घर के सामने आकर गाली-गलौज शुरू कर दी। इस बार वह हाथ में कुल्हाड़ी लेकर आया और अचानक प्रेमलता बाई पर हमला कर दिया। उसने कुल्हाड़ी से उनके गले और पीठ पर वार किया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना को अंजाम देकर आरोपी मौके से फरार हो गया।
पुलिस कार्रवाई और कोर्ट का निर्णय
घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपी मोंटू को गिरफ्तार कर लिया। अदालत में पेश साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई और इसके साथ ही उस पर अर्थदंड भी लगाया।
न्याय का संदेश
इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि कानून से बच पाना मुश्किल है और अपराध करने वालों को उनके किए की सजा अवश्य मिलती है। अपर लोक अभियोजक राकेश यादव ने बताया कि न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और साक्ष्यों के आधार पर त्वरित न्याय सुनिश्चित किया।
सामाजिक संदेश और निष्कर्ष
यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि आपसी विवाद और आक्रोश को इस हद तक न बढ़ने दिया जाए कि वह हिंसा का रूप ले ले। इस मामले में अदालत का फैसला न्याय और कानून के प्रति लोगों का विश्वास मजबूत करता है। यह घटना उन परिवारों के लिए भी सबक है जो अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।
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