Itarsi केसला में नामांतरण प्रक्रिया ठप: चार महीने बाद भी किसानों की समस्याएं बनीं बरकरार
Itarsi केसला ब्लॉक में नामांतरण की प्रक्रिया को लेकर किसानों में गहरी नाराजगी और निराशा है। तहसीलदार के आदेश जारी हुए चार महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक नामांतरण कार्य पूरा नहीं हो सका है। आदिवासी किसान अपने अधिकारों के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
किसानों का कहना है कि नामांतरण के लिए वे एक साल से परेशान हैं। हालांकि अतिरिक्त तहसीलदार ने चार महीने पहले संबंधित मामलों में आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन इसके बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में आदिवासी किसानों को लंबे समय से मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
लंबित मामलों में बारधा रैयत के निवासी शर्मा पिता फागु कोरकू और मुनिया बाई बेवा लालसिंह का नामांतरण प्रमुख है। इसके अलावा, त्रुटि सुधार के लिए तारावती बेवा सरवन भोबदा भी प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रही हैं। वहीं, केसला (भुमकापूरा) की शांति बाई बेवा बुधराम और लताबाई सुरेश के नामांतरण का मामला भी अधर में लटका हुआ है।
पिछले दिनों आयोजित राजस्व महा अभियान के दौरान इन मुद्दों को हल करने का प्रयास किया गया था, लेकिन अब तक किसी भी किसान को राहत नहीं मिली है। इन समस्याओं को लेकर किसान आदिवासी संगठन और समाजवादी जन परिषद ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
संगठन ने कहा है कि शासन और प्रशासन की उदासीनता गरीब आदिवासी किसानों के अधिकारों का हनन है। यदि जल्द ही इन लंबित मामलों का समाधान नहीं किया गया, तो किसानों को मजबूरन सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा।
किसान संगठनों ने शासन से अपील की है कि नामांतरण जैसे महत्वपूर्ण मामलों को प्राथमिकता देकर तत्काल हल किया जाए। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि गरीबों के धैर्य की परीक्षा लेने की बजाय उनकी समस्याओं को गंभीरता से हल करना चाहिए।
प्रशासन की इस धीमी प्रक्रिया से किसानों का विश्वास कमजोर हो रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इन मामलों को सुलझाने के लिए कब सक्रिय कदम उठाता है।
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