Narmadapuram Update : नर्मदापुरम जिले के नर्मदा महाविद्यालय की छात्रों ने इतिहास की जानकारी की व् इसमें अपना भविष्य बनाने के लिए भी प्रशिक्षण ले रहे ।
Narmadapuram : नर्मदा महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने हाल ही में आदमगढ़ पहाड़ी और जिला पुरातत्व संग्रहालय का शैक्षणिक भ्रमण किया, जहां उन्होंने न केवल इतिहास और संस्कृति का अध्ययन किया, बल्कि स्वच्छता का संदेश भी दिया। यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें कलेक्टर सोनिया मीना के मार्गदर्शन में इंडियन ग्रामीण सर्विसेज ने कौशल विकास पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अमिता जोशी ने शैक्षणिक भ्रमण के लिए महाविद्यालय की बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि ऐसे भ्रमण व्यावहारिक ज्ञान के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होते हैं।
इस भ्रमण के दौरान, चित्रकला विभाग की श्रीमती नित्या पटेरिया ने आदमगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित शैल चित्रों के महत्व को बताया और भारतीय चित्रकला के विकास पर प्रकाश डाला। वहीं, मढ़ई से आए गाइड श्री आशीष पांडे ने विद्यार्थियों को ट्रेकिंग के दौरान ध्यान रखने योग्य बातों और विषय वस्तु के प्रस्तुतीकरण के तरीके की जानकारी दी।
इतिहास विभाग की डॉ. हंसा व्यास ने विद्यार्थियों को जिला पुरातत्त्व संग्रहालय की मूर्तियों और शैल चित्रों के बारे में बताया। उन्होंने इन शिल्पों को भारतीय संस्कृति की धरोहर और ऐतिहासिक प्रमाणों के रूप में देखा।
इसके अतिरिक्त, जिला नर्मदापुरम् के पर्यटन प्रबंधक मनोज ठाकुर ने कहा कि एक अच्छे गाइड के लिए आवश्यक है कि वह अपनी बात रोचक तरीके से प्रस्तुत करे, ताकि पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके।
इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान, विद्यार्थियों ने पहाड़ी पर मिले कचरे को भी बटोरा, जिससे स्वच्छता का संदेश फैलाया गया। उन्होंने संग्रहालय में रखी 2 लाख साल पुरानी हाथी दांत की मूर्ति की जानकारी ली और उसे अपने मोबाइल में कैद किया।
विद्यार्थियों ने इस प्रकार के शैक्षणिक भ्रमण को अपने बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक बताया। इसमें सक्रिय भागीदारी निभाने वाले विद्यार्थियों में वैष्णवी मांझी, शांति मांझी, पाखी माहुरकर, ऋतिक सेन, रोहित, अनुराग, मुस्कान, अपूर्वा, तनिष्का, अनुष्का, धर्मेंद्र, अमन मेहरा, शिवांशु, मनोज टेकाम, अर्जुन, प्रयांशी दुबे, शाहिल खान, भारती, मानसी, स्वाति, और मुस्कान शामिल थे।
इस प्रकार का अनुभव विद्यार्थियों को न केवल अपने अध्ययन के प्रति प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें अपने पर्यावरण और संस्कृति के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ाता है।
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