Narmadapuram:- जीवोदय संस्था की मान्यता समाप्त करने की मांग तेज, नगर पालिका अध्यक्ष और संगठनों का दबाव
Namradapuram में जीवोदय संस्था को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। संस्था पर बच्चियों की सुरक्षा में गंभीर लापरवाही के आरोप लगने के बाद नगर पालिका अध्यक्ष नीतू महेंद्र यादव ने कलेक्टर को पत्र लिखकर संस्था की मान्यता समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम के तहत धारा 54 के अंतर्गत एक कमेटी बनाकर संस्था की जांच कराने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही, संस्था में कथित गड़बड़ियों और सुरक्षा की कमी का हवाला देते हुए बच्चियों को किसी अन्य सुरक्षित संस्था में स्थानांतरित करने की मांग की है। अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की अनुशंसा के आधार पर जल्द कार्रवाई का आग्रह भी किया है।
संस्था पर लापरवाही के गंभीर आरोप
नीतू महेंद्र यादव ने अपने पत्र में लिखा कि जो संस्था बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती, उसे मान्यता देना गलत है। उन्होंने जीवोदय संस्था के कार्यकाल में हुई खामियों और सुरक्षा व्यवस्था की जांच की मांग की है। इस मुद्दे पर नगर पालिका अध्यक्ष की सख्त प्रतिक्रिया ने प्रशासन और अन्य संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है।
हिंदू संगठनों ने विधायक से की हस्तक्षेप की मांग
वहीं, हिंदू संगठनों ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई है। धर्म जागरण मंच के जिला प्रमुख आलोक शर्मा ने बताया कि संगठन के सदस्यों ने विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा से मुलाकात कर मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। संगठन ने ज्ञापन पत्र सौंपकर संस्था के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। आलोक शर्मा ने कहा कि यह मुद्दा केवल बच्चियों की सुरक्षा का नहीं, बल्कि संस्था की कार्यशैली की पारदर्शिता और जवाबदेही का भी है। उन्होंने बताया कि संगठन ने राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और डीजीपी को पत्र लिखने का अभियान शुरू कर दिया है।
लोकतांत्रिक माध्यम से लड़ाई जारी रखने का संकल्प
धर्म जागरण मंच के सदस्यों ने कहा कि जब तक जीवोदय संस्था के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होती और न्याय नहीं मिलता, तब तक संगठन लोकतांत्रिक माध्यमों से अपनी लड़ाई जारी रखेगा। जनजागरण अभियान के तहत वे जिले के विभिन्न वर्गों से समर्थन जुटाने में जुटे हैं।
प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव
संस्था के खिलाफ बढ़ते विरोध और राजनीतिक हस्तक्षेप के बीच प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा है। अब सभी की निगाहें कलेक्टर और संबंधित अधिकारियों पर हैं कि वे इस मुद्दे पर किस प्रकार का कदम उठाते हैं। यह मामला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता की परीक्षा है, बल्कि बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार की प्रतिबद्धता को भी जांचेगा।
जीवोदय संस्था को लेकर बढ़ते विवाद ने सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर हलचल मचा दी है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या ठोस उपाय किए जाते हैं।
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