ITARSI Update : गांधी सभा ट्रस्ट के भवन मामले में नया मोड़: सिविल कोर्ट ने स्टे अर्जी खारिज की, एडीजे कोर्ट ने रोक लगाई
Itarsi : Itarsi जयस्तंभ चौक पर स्थित गांधी सभा ट्रस्ट के दो मंजिला भवन के मामले में गुरुवार को महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ। इस मामले में एक ओर जहां सिविल कोर्ट के व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 ने शाम पांच बजे दुकानदारों की स्टे अर्जी खारिज कर दी, वहीं दूसरी ओर एडीजे कोर्ट ने एसडीएम के आदेश पर रोक लगा दी, जिससे दुकानदारों को राहत मिली।
इस मामले की जड़ 4 सितंबर की सुनवाई में आई जब एसडीएम ने पब्लिक न्यूज़ेंस की धारा 133 के तहत भवन को खाली कराने और तोड़ने का अंतरिम आदेश जारी किया। यह आदेश 28 अगस्त को तैयार हो चुका था। इस आदेश को एडीजे कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां गांधी सभा ट्रस्ट के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित एक दुकानदार, नीरज पटेल ने अपने वकील के माध्यम से रिवीजन पिटीशन दायर की। एडीजे कोर्ट ने इस रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया, जिससे एसडीएम के आदेश पर रोक लग गई। नीरज पटेल ने पूर्व में हाईकोर्ट से भी स्टे प्राप्त किया था, लेकिन भवन के टूटने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
- एडवोकेट हिमांशु मिश्रा और संजय गुप्ता ने बताया कि स्टे ऑर्डर में यह उल्लेखित किया गया था कि एसडीएम कोर्ट को आपत्तियों का निवारण करने तक स्थिति को यथावत रखा जाए। इसके साथ ही, एसडीएम को निर्देशित किया गया कि गांधी सभा ट्रस्ट को सूचित किया जाए कि एडीजे कोर्ट से स्टे ऑर्डर जारी हुआ है, जिससे भवन को तोड़ने का काम रोक दिया जाए। यह जानकारी कोर्ट में मौजूद ट्रस्ट के सचिव, एडवोकेट संतोष गुरयानी को भी प्रदान की गई और एडीजे कोर्ट का आदेश ई-मेल के माध्यम से एसडीएम को भेजा गया। इस आदेश का असर सभी दुकानदारों पर लागू होगा।
- एसडीएम का आदेश था कि गांधी सभा भवन को तोड़ा जाए। एसडीएम कोर्ट ने 4 सितंबर को 28 अगस्त के अंतरिम आदेश को जारी किया था। इस आदेश के तहत गांधी सभा भवन का ट्रस्ट भवन को तोड़ने का आदेश दिया गया था। जबकि पहली मंजिल से पंजाब नेशनल बैंक ने भवन खाली कर दिया था, ग्राउंड फ्लोर पर एक दर्जन से अधिक दुकानदार थे जिन्हें दो दिन के भीतर अपनी दुकानें खाली करने का निर्देश दिया गया था। ट्रस्ट को यह भी आदेश दिया गया था कि दस दिनों के अंदर भवन को बिना किसी जनहानि और मालहानि के तोड़ा जाए।
- लेकिन एडीजे कोर्ट के स्टे ऑर्डर ने इस आदेश पर रोक लगा दी, जिससे दुकानदारों को राहत मिली। इससे पहले, एक दिन पहले इटारसी के सिविल कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी, जहां दुकानदारों की स्टे अर्जी पर कोर्ट ने ट्रस्ट और सीएमओ से जवाब मांगा था। इस दौरान लगभग तीन घंटे तक बहस हुई थी। दुकानदारों ने तर्क किया था कि पब्लिक न्यूज़ेंस की धारा 133 के तहत उन्हें विधि विरुद्ध ढंग से बेदखल किया जा रहा है, और यदि उन्हें हटाया जाता है तो इसका असर अपूरणीय होगा। हालांकि, वे यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि कौन सी क्षति होगी। इसके अलावा, किराएदारी के दस्तावेज भी कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किए गए थे।
- सिविल कोर्ट को स्टे आवेदन पर आदेश जारी करना था, जो शाम पांच बजे आया। व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 ने दुकानदारों की स्टे अर्जी को खारिज कर दिया। गांधी सभा ट्रस्ट के सचिव, एडवोकेट संतोष गुरयानी ने पुष्टि की कि सिविल कोर्ट ने दुकानदारों की स्टे अर्जी खारिज कर दी है, लेकिन एडीजे कोर्ट में एक दुकानदार की रिवीजन पिटीशन पर स्टे जारी किया गया है, जिससे भवन के टूटने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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