Itarsi Updates :-मवेशी तस्करों से छुड़ाए 43 गोवंश, केसला गौशाला में शिफ्टिंग; गोसेवकों ने की अनूठी सेवा
Itarsi। मवेशी तस्करों के चंगुल से बचाए गए 43 गोवंश को मंगलवार को केसला गौशाला में स्थानांतरित कर दिया गया। इनमें से 4 गोवंश की स्थिति अभी भी गंभीर है, जिसके चलते उन्हें उपचार के लिए इटारसी (Itarsi)में ही अस्थायी गोशाला में रखा गया है। यह अस्थायी गोशाला ओवरब्रिज के नीचे बनाई गई थी, जहां गोसेवकों ने पांच दिनों तक इन मवेशियों की देखभाल और सेवा की।
गोसेवकों ने बताया कि पिछले सप्ताह 45 मवेशियों को तस्करों के चंगुल से बचाया गया था। इन मवेशियों को ट्रक में रस्सियों से कसकर बांधकर ठूंस-ठूंसकर भर दिया गया था। भूख-प्यास और तंग जगह के कारण उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वे खड़े तक नहीं हो पा रहे थे। रेस्क्यू के बाद इन गोवंश को ओवरब्रिज के नीचे बनी अस्थायी गोशाला में रखा गया।
गोसेवकों की समर्पित सेवा
गोसेवकों ने दिन-रात इन मवेशियों की सेवा की। गोसेवक लखन कश्यप और विक्रम यादव ने बताया कि मवेशियों को चारा, भूसा, खली-चुनी, और सब्जियां उपलब्ध कराई गईं। शहर के कई लोग रोटियां, गुड़, दवाइयां और अन्य खाद्य सामग्री लेकर गोशाला पहुंचे। नगरपालिका ने केवल पानी के टैंकर की व्यवस्था की, जबकि बाकी व्यवस्थाएं जनभागीदारी से की गईं।
पशु चिकित्सकों को बुलाकर बीमार और घायल मवेशियों का इलाज करवाया गया। इनमें से कुछ मवेशी गंभीर रूप से घायल हैं, जिनकी हालत में अभी भी सुधार नहीं हुआ है। इसलिए उन्हें अस्थायी गोशाला में ही रखा गया है।
शिफ्टिंग की प्रक्रिया
मंगलवार को दो चरणों में 39 मवेशियों को सुरक्षित तरीके से वाहन में लादकर केसला गौशाला भेजा गया। शिफ्टिंग के दौरान गोसेवकों ने मवेशियों को लाड़-प्यार से संभाला और उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा।
गोसेवकों का कहना है कि इटारसी में रेस्क्यू किए गए मवेशियों के लिए स्थायी गौशाला की व्यवस्था नहीं है। नगर पालिका ने भी ऐसी कोई जगह नहीं बनाई है, जिसके चलते मजबूरन इन मवेशियों को केसला शिफ्ट करना पड़ा।
स्थायी गोशाला की मांग
गोसेवकों ने स्थानीय प्रशासन से इटारसी में घायल और रेस्क्यू किए गए मवेशियों के लिए स्थायी गौशाला बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि स्थानीय स्तर पर ही मवेशियों को रखने और उनकी देखभाल की सुविधा उपलब्ध हो, तो ऐसी परिस्थितियों में बेहतर प्रबंधन हो सकता है।
जनभागीदारी का अनूठा उदाहरण
इस रेस्क्यू और देखभाल अभियान ने जनभागीदारी का अनूठा उदाहरण पेश किया। स्थानीय नागरिकों और गोसेवकों के सहयोग से इन मवेशियों की देखभाल की गई। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह भविष्य में ऐसी स्थिति में बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करेगा।
इस घटना ने जहां गोसेवकों की सेवा भावना और जनभागीदारी को उजागर किया, वहीं यह भी सवाल खड़ा किया कि इटारसी में घायल और बेसहारा मवेशियों के लिए स्थायी व्यवस्थाएं कब तक होंगी। स्थानीय प्रशासन और समाज को मिलकर इस दिशा में सार्थक कदम उठाने होंगे।
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