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Itarsi रैसलपुर उपमंडी में मवेशियों की दयनीय स्थिति: उचित देखभाल, पानी और चारे की कमी की शिकायतें

Itarsi रैसलपुर उपमंडी में मवेशियों की दयनीय स्थिति: उचित देखभाल, पानी और चारे की कमी की शिकायतें

Itarsi Update : निराश्रित गौवंश को आश्रय विशेष अभियान निरंतर चलाया जा रहा है। कलेक्टर

 

Raisalpur रैसलपुर की खाली पड़ी उपमंडी इन दिनों अस्थायी गोशाला का रूप ले चुकी है, जहां किसानों के गाय और बछड़े पिछले 15 दिनों से हैं। नपा ने गोवंश को छोड़ने के एवज में प्रति मवेशी 500 रुपए शुल्क वसूल किया है, लेकिन इस दौरान उनकी देखभाल की स्थिति बेहद खराब रही है। कई गायें संक्रामक लंपी वायरस और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन इन बीमार जानवरों को अलग शेड में नहीं रखा गया है। उपमंडी के गेट पर तैनात कर्मचारी ने दावा किया कि बीमार और घायल जानवरों की देखभाल के लिए एक डॉक्टर आते हैं, लेकिन स्थल पर किसानों और पशुपालकों को कोई डॉक्टर दिखाई नहीं देते। उपमंडी में रखे गए रजिस्टर के अनुसार, पिछले 13 दिनों में Itarsi नपा कर्मियों ने 380 मवेशियों को छोड़ा है, लेकिन इन मवेशियों की देखभाल में कोई सुधार नहीं हुआ है।

शहरी क्षेत्र के विभिन्न स्थानों जैसे मंडी, खेड़ा, ओवरब्रिज, जयस्तंभ चौक और नपा दफ्तर के सामने वाली रोड पर भी जानवरों की बढ़ती संख्या ने समस्या को और गंभीर बना दिया है। उपमंडी में कैद मवेशियों को पीने के पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं की गई है। नपा ने पानी की आपूर्ति के लिए एक टैंकर भेजा है, लेकिन यह टैंकर उपमंडी के दूसरे गेट के पास खड़ा है, जहां मवेशियों का पहुंचना मुश्किल हो रहा है। पानी का दूसरा प्रबंध उपमंडी की टंकी के नलों में पाइप लगाकर किया गया है, लेकिन यहां पानी के हौज भरे हुए हैं और कई मवेशी अब भी पानी की कमी से जूझ रहे हैं।

विश्व हिंदू परिषद के मध्य प्रांत सहमंत्री गोपाल सोनी ने उपमंडी में मवेशियों की देखभाल की अनदेखी और गड़बड़ी की निंदा की है। उनका कहना है कि Itarsi नपा को पशु पालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मवेशियों की स्थिति में सुधार हो सके। विहिप के सामाजिक समरसता विभाग के कार्यकर्ता रामकृष्ण चौरे ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई और सुझाव दिया कि चारे और पानी के लिए अलग-अलग कुंड बनाए जाएं ताकि मवेशियों को आवश्यक सुविधाएं मिल सकें।

चारे की स्थिति भी दयनीय है। शेड में केवल एक या दो स्थानों पर भूसे का चारा डाला गया है, जो मवेशियों के मल-मूत्र से खराब हो चुका है। कई जानवरों को चारे तक नहीं पहुंच पा रहा है, और कुछ मवेशी खाली जमीन पर चारा खोज रहे हैं जबकि कुछ कांटेदार झाड़ियों को खा रहे हैं। उपमंडी में Itarsi और (Narmadapuram) नर्मदापुरम से लाए गए गोवंशीय जानवरों की देखरेख की जिम्मेदारी नपा के इंजीनियर और हांका दल प्रभारी मयंक अरोरा के पास है। अरोरा ने बताया कि Itarsi / Narmadapuram नपा रोजाना सड़कों पर घूमते 45 से 50 आवारा गोवंश को पकड़ रही है, लेकिन इस कार्य के लिए केवल एक ही वाहन उपलब्ध है। पकड़े गए गोवंश को (Raisalpur )रैसलपुर उपमंडी में अस्थायी गौशाला में रखा गया है, जहां वर्तमान में लगभग 500 गोवंश मौजूद हैं।

इन समस्याओं की गंभीरता को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि मवेशियों की देखभाल और प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है। चारे, पानी, और चिकित्सकीय देखभाल की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करना न केवल मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में ऐसी समस्याओं की पुनरावृत्ति न हो और मवेशियों की देखभाल में किसी भी प्रकार की लापरवाही को रोका जा सके।

 

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