Pipariya Updates:- खाद की किल्लत से जूझ रहे किसान: डीएपी, यूरिया की भारी मांग, समाधान के प्रयास जारी
Pipariya। क्षेत्र के किसानों को खाद की किल्लत से राहत नहीं मिल पा रही है। डीएपी, यूरिया जैसे आवश्यक उर्वरकों की भारी मांग के बावजूद उनकी आपूर्ति में देरी और कमी के कारण किसानों को बार-बार सहकारी समितियों, डबल लॉक केंद्रों और निजी दुकानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। किसानों को केवल आश्वासन पर टिके रहना पड़ रहा है, जबकि बोवनी का समय तेजी से निकला जा रहा है।
डीएपी की कमी बनी बड़ी समस्या
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से डीएपी की आपूर्ति ठप है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को एनपीके और पीएसपी जैसे विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन यह विकल्प धीमी गति से वितरित हो रहे हैं। यूरिया का भी स्टॉक खत्म हो चुका है। किसानों ने धान, मक्का और तुअर की कटाई के बाद रबी की फसलों की बुवाई की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन डीएपी के अभाव में बोवनी में बाधा आ रही है।
खाद वितरण की प्रक्रिया और कीमतें
डबल लॉक केंद्र और सहकारी समितियां किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए हर सोमवार सूची तैयार करती हैं। इस सूची के अनुसार ही खाद का वितरण किया जाता है। हालांकि, एनपीके की कीमत डीएपी से 25 रुपये अधिक है, जिससे किसानों को आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ रहा है।
– डीएपी: 1350 रुपये प्रति बोरी
– एनपीके: 1375 रुपये प्रति बोरी
– पीएसपी: 1300 रुपये प्रति बोरी
किसानों का कहना है कि एनपीके की कीमतें डीएपी से कम होनी चाहिए, लेकिन यह भी बुवाई के समय महंगा हो गया है।
खाद के लिए अतिरिक्त केंद्र की शुरुआत
सोहागपुर कृषि उपज मंडी में मंगलवार सुबह 8:30 बजे खाद वितरण के लिए अतिरिक्त डबल लॉक केंद्र का उद्घाटन किया गया। एसडीएम असमन राम चिरामन और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में यह केंद्र शुरू हुआ। उद्घाटन के पहले दिन 100 किसानों को टोकन बांटे गए।
वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी सुनील बर्डे ने बताया कि 1 से 50 तक के टोकन वाले किसानों को डीएपी खाद का वितरण किया गया, जबकि शेष किसानों को अगले दिन खाद उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि केवल कूपन वाले किसानों को ही खाद दिया जाएगा।
प्रशासन का आश्वासन
विपणन प्रभारी भरत निमोदा ने बताया कि 21 नवंबर तक डीएपी, एनपीके और पीएसपी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। एसडीएम अनिल जैन और तहसीलदार वैभव बैरागी के निर्देश पर उच्चाधिकारियों के सहयोग से इस समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं।
किसानों की मांग और भविष्य की योजना
किसानों का कहना है कि रबी की फसल की बुवाई में देरी से उनकी फसलों की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा। प्रशासन ने किसानों को जल्द से जल्द पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। हालांकि, अब तक की धीमी प्रक्रिया ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।
खाद संकट से जूझ रहे किसानों को राहत दिलाने के लिए प्रशासन और कृषि विभाग लगातार प्रयासरत हैं। अतिरिक्त केंद्रों की शुरुआत और खाद वितरण के लिए टोकन प्रणाली से कुछ हद तक व्यवस्था सुधरने की उम्मीद है। लेकिन अगर जल्द ही खाद की कमी दूर नहीं हुई, तो यह कृषि उत्पादन और किसान की आय पर गहरा असर डाल सकता है।
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