Education Department :- शिक्षा विभाग ने वेस्ट ऑफ-5 पद्धति को किया बंद, छात्रों को 6 विषयों में पास होना अनिवार्य
Education Department शिक्षा विभाग ने इस सत्र 2024-25 से नौ वीं और दस वीं कक्षा के छात्रों के लिए लागू वेस्ट ऑफ-5 पद्धति को बंद करने का निर्णय लिया है। अब दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले सभी छात्र-छात्राओं को छह विषयों में पास होना अनिवार्य होगा। पहले छात्रों को उन विषयों में पास घोषित कर दिया जाता था जिनमें वे बेहतर प्रदर्शन करते थे, और जिन विषयों में वे कमजोर या फेल होते थे उन्हें गणना में शामिल नहीं किया जाता था। इस नई व्यवस्था के तहत छात्रों को अपने कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि अब यदि किसी छात्र को दो विषयों में सप्लीमेंट्री आती है, तो उसे फेल माना जाएगा।
पहले, वेस्ट ऑफ-5 पद्धति में छात्रों को सुविधा दी गई थी कि उनके कमजोर या फेल होने वाले विषय का परिणाम में हिसाब नहीं जोड़ा जाता था। इस पद्धति के अंतर्गत छात्रों के परिणाम पांच अच्छे विषयों के आधार पर बनाए जाते थे, और यदि इनमें से किसी एक विषय में सप्लीमेंट्री आती थी, तो छात्र को फेल नहीं माना जाता था। लेकिन अब बदलाव के बाद, दो विषयों में सप्लीमेंट्री आने पर छात्र को फेल घोषित कर दिया जाएगा। इस निर्णय के कारण छात्रों को अब सभी छह विषयों में पास होना जरूरी होगा, जिससे उन्हें अपने कमजोर विषयों में भी मेहनत करने की जरूरत होगी।
शिक्षक काउंसिलिंग: विज्ञान शिक्षकों ने दर्ज कराई असहमति
Education Department(शिक्षा विभाग) ने शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सभी वर्गों के लगभग 450 शिक्षकों की काउंसिलिंग आयोजित की, ताकि उन्हें खाली पड़े पदों पर नियुक्त किया जा सके। यह काउंसिलिंग अगस्त से अक्टूबर तक चली, लेकिन इस दौरान कई शिक्षकों ने काउंसिलिंग में भाग नहीं लिया या फिर नियुक्ति के बाद भी स्कूल में ज्वाइनिंग नहीं दी। जिले के 18 विज्ञान शिक्षकों ने 3 अक्टूबर को आयोजित अंतिम काउंसिलिंग में अपनी असहमति दर्ज कराते हुए इसका बहिष्कार किया। शिक्षकों की इस अनुपस्थिति का असर स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर पड़ सकता है, क्योंकि नवंबर का महीना समाप्त होने की ओर है और शिक्षक न होने के कारण छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
दिसंबर में होगी अर्धवार्षिक परीक्षा, बोर्ड परीक्षा की तैयारियों पर असर
Education Department(शिक्षा विभाग) के अनुसार, 9 दिसंबर से अर्धवार्षिक परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा, जो 18 से 19 दिसंबर तक चलेंगी। परीक्षा आयोजन, उत्तरपुस्तिकाओं की जांच और परिणाम तैयार करने में लगभग आधा महीना व्यतीत हो जाएगा, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है। इसके बाद जनवरी में भी छात्रों की तैयारी केवल औसत स्तर पर ही हो पाएगी, जबकि फरवरी से बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने की संभावना है।
शिक्षा विभाग के इस नए निर्णय और शिक्षकों की अनुपस्थिति से छात्र और अभिभावक चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई और परीक्षा की तैयारियों पर इसका सीधा असर महसूस हो सकता है।
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