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Seoni Malwa : में आदिवासियों की जमीन की बिक्री में फर्जी हस्ताक्षर का मामला

 

Seoni Malwa Update : फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी वर्ग की भूमि पंजीकरण और नामांतरण किया गया।

Seoni Malwa : मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्ग (अनुसूचित जनजाति) की भूमि को गैर आदिवासियों के पक्ष में बेचने के मामले में एक गंभीर अनियमितता सामने आई है। यह मामला तहसील सिवनीमालवा के ग्राम सीरूपुरा से जुड़ा हुआ है, जहां तीन आदिवासी कृषकों की जमीन को बिना कलेक्टर की अनुमति के गैर आदिवासियों को बेचा गया।

Seoni Malwa : में आदिवासियों की जमीन की बिक्री में फर्जी हस्ताक्षर का मामला

राज्य सरकार ने आदिवासियों की भूमि की बिक्री के लिए मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 165 में विशेष प्रावधान बनाए हैं। इसके तहत, आदिवासी भूमिस्वामियों को अपनी जमीन बेचनें के लिए कलेक्टर से विधिवत अनुमति प्राप्त करनी होती है। कलेक्टर की अनुमति के आधार पर ही पंजीयक द्वारा भूमि का पंजीकरण किया जाता है। लेकिन इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी तरह से अनदेखी की गई।

पता चला है कि जिन दस्तावेजों के आधार पर भूमि का पंजीकरण और नामांतरण किया गया, वे सभी फर्जी और कूटरचित थे। कलेक्टर नर्मदापुरम के फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी सील, और अनुमति के सभी प्रकरण भी नकली थे। जब कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना को इस मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने इसकी गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए।

उन्होंने पुलिस अधीक्षक नर्मदापुरम को दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए लिखा है और उप पंजीयक सिवनी मालवा को भी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस पूरे प्रकरण में हल्का पटवारी श्री नरेंद्र सोलंकी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

इस मामले में प्रभावित भूमि स्वामियों के विवरण इस प्रकार हैं:

  • पुष्पेंद्र सिंह बडकुड(पिता: राजेन्द्र सिंह बडकुड) निवासी रेल्वे गेट के पास बनापुरा। उनकी भूमि खसरा नंबर 12, रकबा 4.465 हैक्टर में से 2.235 हैक्टर को श्रीमती प्रेरणा खण्डेलवाल ने खरीदा और नामांतरण कराया।
  • पुष्पेंद्र सिंह बडकुड (पिता: राजेन्द्र सिंह बडकुड) की दूसरी भूमि, उसी खसरा नंबर से 2.230 हैक्टर को श्रीमती सोनाली खण्डेलवाल ने खरीदा और नामांतरण कराया।
  • श्रीमना बाई बडकुड (पत्नी: राजेन्द्र सिंह बडकुड) निवासी रेल्वे गेट के पास बनापुरा। उनकी भूमि खसरा नंबर 38/2, रकबा 3.400 हैक्टर को अनुराग जलखरे ने खरीदा और नामांतरण कराया।

यह मामला न केवल आदिवासी भूमि के अधिकारों के उल्लंघन का प्रतीक है, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं में भी गंभीर खामियों को उजागर करता है। कलेक्टर के द्वारा शुरू की गई जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को जल्द सजा मिलेगी और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा होगी।

 

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